ग्वालियरभोपालमध्य प्रदेश

MP news:मनरेगा में गड़बड़झाले की आशंका से जिले में तलाशने पर भी नहीं मिल रहे थे 400 मजदूर, अब आठ हजार तक पहुंचे!

MP news:मनरेगा में गड़बड़झाले की आशंका से जिले में तलाशने पर भी नहीं मिल रहे थे 400 मजदूर, अब आठ हजार तक पहुंचे!

 

 

 

भिण्ड. जिले में छह माह पहले तक मनरेगा के कार्यों के लिए जहां मजदूरों का टोटा था, वहीं अब औसतन हर माह आठ से नौ हजार मजदूर काम कर रहे हैं। नवंबर 2024 के पहले तक औसतन हर माह 350 श्रमिक भी उपलब्ध नहीं हो रहे थे। पंचायतों से भी न तो मांग आ रही थी और न ही काम हो रहे थे। मजदूरों की संख्या में हुई वृद्धि सवाल खड़े कर रही है।

 

 

 

 

 

कार्यों की स्वीकृति को लेकर जिला पंचायत और सरपंच संगठन के बीच कई बार गतिरोध बना, धरना दिए, प्रदर्शन किए, प्रभारी मंत्री सहित मुख्यमंत्री तक शिकायतें पहुंचीं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। अब मजदूरों की संख्या 20 गुना तक बढ़ गई है। अचानक इतने मजदूरों को काम देना चर्चा का विषय है।

 

 

 

 

 

करोड़ों की गड़बड़ी

विधानसभा चुनाव से पहले मनरेगा में श्रम और सामग्री के गैर आनुपातिक भुगतान, मजदूरों की जगह मशीनों से कार्य सहित कागजों में या घटिया कार्य के चलते 134 ग्राम पंचायतों की जांच में करोड़ों की वित्तीय अनियमितताएं सामने आ चुकी हैं। इनमें मनरेगा से गैर अनुमत कार्यों को भी कराया जाना और अनुमति प्राप्त कार्यों के भुगतान में अनियमिताएं शामिल हैं। मध्यप्रदेश रोजगार गारंटी परिषद की ओर से मनरेगा के 22 से अधिक अधिकारियों और इंजीनियर्स को नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जिनमें से चार संविदा अधिकारियों के अनुबंध खत्म कर सेवा से पृथक किया जा चुका है। 12 से अधिक कार्रवाई के दायरे में हैं।

 

 

 

 

 

 

मनरेगा में मात्र 261

बाजार में एक मजदूर को 600 रुपए प्रतिदिन मजदूरी मिल रही है। भुगतान भी उसी दिन शाम को हो जाता है। इसके विपरीत मनरेगा में 261 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी है। 31 मार्च तक तो 243 ही मिलते थे।

श्रमिक मोहन कहते हैं कि मेरा जॉबकार्ड है, लेकिन मनरेगा में मजदूरी नहीं करते। वजह मजदूरी है, मनरेगा में 261 रुपए मिलते हैं, उसके लिए भी उपस्थिति कहीं कम हो गई तो कट जाते हैं। भुगतान भी एक से तीन माह के बीच होता है। एक सरपंच नाम गोपनीय रखते हुए बताते हैं कि हकीकत यही है कि काम मशीनों से होते हैं और मस्टर फर्जी भरे जाते हैं।

 

 

 

 

 

फैक्ट फाइल

82 हजार मजदूरों के बने हैं जिले में जॉबकार्ड।

400 मजदूर भी उपलब्ध नहीं थे आठ माह पहले तक।

8500 से अधिक मजदूर रोज काम पर दर्शाए जा रहे अभी।

1329 खेत तालाबों का निर्माण कराया गया है इस साल।

24.66 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं मनरेगा के तहत।

140 डगवेल रिचार्ज पिट भी तैयार कराए गए हैं जिले में।

37.61 लाख रुपए खर्च हुए हैं इन कार्यों पर।

4 संविदा मनरेगा अधिकारी हटाए जा चुके हैं सेवा से।

20 के करीब अब भी बर्खास्तगी की कार्रवाई के दायरे में।

 

 

 

 

 

मनरेगा में मजदूर आने लगे हैं। डेढ़ साल से मनरेगा में वित्तीय अनियमितताओं की जांच 134 पंचायतों में चलने से सरपंच काम करने को तैयार नहीं थे, अब विशेष अभियानों की पूर्ति के लिए श्रमिक बुलाए जा रहे हैं। आठ-नौ हजार मजदूर काम कर रहे हैं।

संतोष बुधौलिया, पीओ, मनरेगा, भिण्ड

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